सोशल साइटों पर बेहूदी अफवाह ....

सोशल साइटों पर बेहूदी अफवाह ....


फेसबुक सहित कई ब्लॉग साइट पर एक अफवाह तेजी से फैली हुई है कि एक जनवरी 2014 से नोट पर कुछ भी लिखा होने पर बैंक जमा नहीं करेंगे.  लेकिन ये सरासर झूठ है. आरबीआई की एक रिपोर्ट के तहत अब यह झूठ सामने आ गया है.
देखा जाये तो गलत सूचना और झूठी अफवाह के लिए बुरी तरह बदनाम सोशल मीडिया ने अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को अपना निशाना बनाया है. 
गौरतलब है कि 1 जनवरी से लिखे हुए नोट बाजार में न चलने की अफवाह पर 14 अगस्त को जारी किए गए एक सर्कुलर में आरबीआई ने सभी बैंकों को निर्देश दिया था कि क्लीन नोट पॉलिसी के तहत अगर किसी बैंक के पास कोई ऐसा नोट आता है, जिसपर कुछ लिखा है. तो बैंक उस नोट को किसी भी ग्राहक को नहीं देंगे और ग्राहक को नया नोट इश्यू करेंगे. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, लखनऊ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात को खारिज करते हुए कहा है कि एक जनवरी के बाद भी लिखे हुए नोट बैंकों द्वारा स्वीकार किए जाएंगे और उनका मूल्य भी बरकरार रहेगा. आरबीआई ने लिखे हुए नोटों पर रोक लगाने के लिए कोई भी सर्कुलर किसी बैंक को नहीं भेजा है.
आरबीआई के अधिकारी के मुताबिक अगर कोई बैंक ग्राहकों से ऐसे नोट लेने से इनकार करता है, तो वह गलत है. ग्राहक इसकी शिकायत कर सकते हैं. अगर कोई ग्राहक किसी बैंक के खिलाफ शिकायत करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी. उपभोक्ता www.rbi.org.in  पर लॉगिन करके कंपलेन फॉर्म भर सकता है.
आरबीआई के अधिकारियों का कहना है कि नोटों पर लिखने से नोटों की अवधि
(लाइफ) कम हो जाती है। आरबीआई ने नोटों पर लगातार हो रही लिखावट को खत्म करने के लिए ही बैंकों को बाजार में ऐसे नोट इश्यू न करने और फ्रेश नोट इश्यू करने के लिए कहा था। ताकि नोटों की लाइफ बढ़ सके.......

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर का कहना है कि “रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया लोगों को जागरूक करना चाहता है ताकि लोग नोटों पर कुछ भी नहीं लिखें. कुछ भी लिखने से नोट गंदे होते हैं। बैंकों को भी लोगों को ऐसा करने से रोकने के निर्देश दिए गये हैं. लोगों को भी ऐसा नहीं करना चाहिए.......
सुनीता दोहरे ....

Comments

Popular posts from this blog

इस आधुनिक युग में स्त्री आज भी पुरुषों के समकक्ष नहीं(सच का आइना )

किशोरियों की व्यक्तिगत स्वच्छता बेहद अहम...

10 दिसंबर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस ( सच का आईना )

.देवदासी प्रथा एक घिनौना रूप जिसे धर्म के नाम पर सहमति प्राप्त !

बड़की भाभी का बलिदान . ✍ (एक कहानी ) "स्वरचित"

डॉ. भीमराव अम्बेडकर एक महान नारीवादी चिंतक थे।

महिला पुरुष की प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि पूरक है(सच का आईना )

कच्ची पक्की नीम निबोली, कंघना बोले, पिया की गोरी

भड़कीले, शोख व अंग-दिखाऊ कपड़ों में महिलाओं की गरिमा धूमिल होने का खतरा बना रहता है...